3566
प्यास अगर शराबकी होती तो,
ना आता तेरे
मयखानेमें…
ये जो तेरी
नज़रोका जाम
हैं,
कम्बख्त
कहीं और मिलता
ही नहीं...!
3567
ये इश्क भी
नशा-ए-शराब,
जैसा हैं यारों
…
करें तो मर
जाएँ और,
छोडे तो किधर
जाएँ...!
3568
अगर हैं गहराई,
तो चल डुबा
दे मुझको…
शराब नाकाम रही,
अब तेरी आँखोकी बारी
हैं l
3569
मिले जो मेहबूब
तो,
शराब सा मिले…
कि बेख़ुदी ऐसी हो,
कि फिर होश
न रहे…!
3570
वो जो तुमने,
इक दवा बतलाई
थी ना ग़मके
लिए,
उससे ग़म
तो जैसाका
तैसा रहा,
बस हम शराबी
हो गये ll
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