12 November 2018

3516 - 3520 इश्क़ जिन्दगी इशारा बारिश आँख आईना दर्द दौलत जन्नत रुसवा तमाशा शायरी


3516
किसने "बोला" हैं तुम्हें,
"खुल" के "तमाशा" करना...?
गर "इश्क़" करते हो तो बस,
"हल्का" सा "इशारा" करना.......!

3517
इश्क़में तुम तो,
सिर्फ रुसवा हुए हो;
मगर हम तो.
तमाशा हो गए हैं...!

3518
बारिश जरा खुलकर बरस...
ये क्या तमाशा हैं.......?
इतनी रिमझिम तो,
मेरी आँखोंसे रोज होती हैं.......!

3519
खुदको औरोंकी तवज्जोका,
तमाशा करो;
आईना देख लो,
अहबाबसे पूछा करो; 
शेर अच्छे भी कहो,
सच भी कहो, कम भी कहो; 
दर्दकी दौलत--नायाबको,
रुसवा करो.......।

3520
जिन्दगी तेरी भी,
अजब परिभाषा हैं...
सँवर गई तो जन्नत,
नहीं तो सिर्फ तमाशा हैं...!

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