3516
किसने
"बोला" हैं तुम्हें,
"खुल" के "तमाशा" करना...?
गर
"इश्क़" करते हो
तो बस,
"हल्का"
सा "इशारा" करना.......!
3517
इश्क़में तुम
तो,
सिर्फ रुसवा
हुए हो;
मगर हम तो.
तमाशा हो गए
हैं...!
3518
ऐ बारिश जरा खुलकर
बरस...
ये क्या
तमाशा हैं.......?
इतनी रिमझिम तो,
मेरी
आँखोंसे रोज
होती हैं.......!
3519
खुदको औरोंकी तवज्जोका,
तमाशा न करो;
आईना देख लो,
अहबाबसे पूछा
न करो;
शेर अच्छे भी कहो,
सच भी कहो, कम भी कहो;
दर्दकी दौलत-ए-नायाबको,
रुसवा न
करो.......।
3520
जिन्दगी
तेरी भी,
अजब
परिभाषा हैं...
सँवर गई तो
जन्नत,
नहीं तो
सिर्फ तमाशा हैं...!
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