3 November 2018

3501 - 3505 इश्क़ धड़कने काबू याद कमाल वहम हिचकियाँ शायरी


3501
याद करनेकी हमने,
हद कर दी मगर...
भूल जानेमें तुम भी,
कमाल करते हो.......!

3502
धड़कने काबूमें नहीं हैं,
आज लगता हैं...
कोई बेहताशा,
याद कर रहा हैं.......!

3503
खिलखिलाती धूपसा मेरा इश्क़...
और,
सर्द रातोसा तेरा याद आना.......!

3504
एक दिया दिलमें जलाना भी,
बुझा भी देना...
याद करना भी उसे और,
रोज भूला भी देना...
उससे मनसूब भी कर लेना,
पुराने किस्से...
उसके बालोमें नया फूल,
लगा भी देना...!

3505
अब हिचकियाँ आती हैं,
तो पानी पी लेते हैं...
ये वहम छोड़ दिया हैं,
कि कोई याद करता हैं...!!!

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