19 November 2018

3546 - 3550 दिल ज़िंदगी कारवाँ महक याद दीदार लम्हा ख्वाब वफ़ा तमन्ना किस्मत तनहा शायरी


3546
तनहा दिल हो जाता हैं,
जब याद आते हो तुम...
कुछ सहरीसी कुछ भिगिसी,
आती हैं आपकी याद...
दिल महक जाता हैं,
जब याद आते हो तुम...
संभलना भी हैं,
सवरना भी हैं मगर...
दिल कुछ बहक जाता हैं,
जब याद आते हो तुम...
बस तेरे दीदारकी आस हैं,
काश तू आये और ये लम्हा ठहर जाये...!

3547
एक उनके ख्वाबोंका शौक,
एक उनके यादकी आदत;
वो ही बतायेंगे सोकर उनका दीदार करे,
या जाग कर उन्हें याद.......!

3548
जब वो आये तो,
कफन ना उठाना मेरी लाश परसे...
उसे भी तो पता चले यारका दीदार,
ना हो तो दिलपर क्या गुजरती हैं.........!!!

3549
मुझको फिर वही सुहाना नज़ारा मिल गया,
नज़रोंको जो दीदार तुम्हारा मिल गया;
और किसी चीज़की तमन्ना क्यूँ करू,
जब मुझे तेरी बाहोंमें सहारा मिल गया...

3550
ये रस्म, ये रिवाज...
ये कारोबार वफ़ाओंका,
सब छोड़ आना तुम,
मेरे बिखरनेसे जरा पहले, लौट आना तुम...
किसीकी यादमें जलती हैं ज़िंदगी,
किसीकी यादसे चलती हैं ज़िंदगी,
ये तो ज़िंदगीका कारवाँ हैं यारों...
किसीकी यादमें सँबरती,
तो किसीकी यादमें बिखरती हैं ज़िंदगी...
तलब ऐसीकी बसा लें साँसोंमें उन्हे,
और किस्मत ऐसी की,
दीदारके भी मोहताज हैं हम.......!

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