30 November 2018

3601 - 3605 जिंदगी तौहीन तजुर्बे जाम शाम किस्से अदालत नशा शराब शायरी


3601
तौहीन ना कर,
शराबको कड़वा कहकर...
जिंदगीके तजुर्बे,
शराबसे भी कड़वे होते हैं.......

3602
तुम नहीं, गम नहीं, शराब नहीं...
ऐसी तन्हाईका जवाब नहीं.......!

3603
ये शराब भी एक,
अजब "शयहैं,  गालिब...
"पीते" ही चेहरे "धुंधले",
और "किरदार" साफ नज़र आते हैं.......!

3604
क्या खूब कहा किसीने.......
सबसे अधिक सच्चे किस्से शराबखाने सुने,
वो भी हाथमें जाम लेकर...
और सबसे अधिक झूठे किस्से अदालतने सुने,
वो भी हाथमें गीता और कुरान लेकर.......!

3605
डूब चुके हैं अब,
तुम शाम बन जाओ...
हम बन जाते हैं नशा,
तुम शराब बन जाओ.....!

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