1 December 2018

3606 - 3610 प्यार याद आँख एहसास ठोकर दुनियाँ खुशियाँ गम ज़ाम मज़ा नशा शायरी



3606
अब उसे रोज़ सोचूँ,
तो बदन टूटता हैं फ़राज़...
उमर गुजरी हैं,
उसकी यादका नशा किये हुए.......!

3607
सब नहीं करते,
ना कर सकेंगे नशा शायरीका...
ये तो वो जाम हैं यारों,
जो एहसासोंके नवाब पीते हैं...!

3608
कहती हैं दुनियाँ जिसे प्यार,
नशा हैं, खता हैं !
हमने भी किया हैं प्यार,
इसलिए हमे भी पता हैं !
मिलती हैं थोड़ी खुशियाँ,
और गम ज्यादा !
पर इसमें ठोकर खानेका भी,
कुछ अलग ही हैं मज़ा !!!

3609
यारोको माहोल,
नहीं लगता मेरे दोस्त...
बस याद करलो,
नशा अपने आप हो जाता हैं...

3610
सावनकी सौगंध देकर,
कहते हो नशा छोड़ दो...
अब कैसे समझाए उनको,
आँखोंका नशा हैं जो उतरता नहीं...!

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