28 December 2018

3681 - 3685 तमन्ना गम आँख होंठ जज्बात ख्याल लफ्ज आशिक इल्जाम क़त्ल चाह इश्क दिल शायरी


3681
दिलमें तमनाओंको दबाना सीख लिया,
गमको आँखोंमें छिपाना सीख लिया;
मेरे चहरेसे कहीं कोई बात जाहिर ना हो,
दबाके होंठोंको हमने मुस्कुराना सीख लिया...

3682
बातें ऐसे करो की जज्बात कभी कम हों
ख्यालात ऐसे रखो कि कभी गम हो;
दिलमें अपने इतनी जगह दे देना हमें,
कि खाली-खालीसा लगे जब हम हो...

3683
लफ्जोंसे इतना आशिकाना,
ठीक नहीं हैं साहब...
किसीके दिलके पार हुए तो,
इल्जाम क़त्लका लगेगा...

3684
जरुरी तो नहीं,
हर चाहतका मतलब इश्क हो...
कभी कभी कुछ अनजान रिश्तोंके लिए भी,
दिल बेचैन हो जाता हैं...!

3685
आशियाने बनें भी,
तो कहाँ जनाब...
जमीनें महँगी हो चली हैं, और...
दिलमें लोग जगह नहीं देते.......!

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