3696
किसी सख़्त पिताकी तरह,
होता है "साल"...
मुट्ठीमें ढेरों
तारीखें;
लेकिन खर्च करनेको,
रोज़ एक ही
देता हैं...!
3697
काश के कोई
मेरा अपना,
सम्भाल
ले मुझको;
बहुत थोड़ा रह
गया हूँ मैं
भी,
इस सालकी तरह.......!
3698
"मोहब्बत"
की तरह "नफरत"
का भी,
सालमें एक
ही दिन तय
कर दो कोई
ये रोज़-रोज़की नफरतें,
अब अच्छी नहीं लगतीं...
3699
मेरे दिलमें
रहने वालों,
अब तो किराया
दे दो...
सालका आख़िरी
दिन भी
आ
गया हैं.......!
3700
मैं अगर खत्म
भी हो जाऊँ,
इस सालकी
तरह...
तुम मेरे बाद
भी संवरते रहना,
नए सालकी
तरह.......!
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