3 December 2018

3616 - 3620 रब प्यार इश्क दुनियाँ फासले हमदर्द बयाँ झूठ मोहब्बत ख्वाहिश दिल शायरी


3616
रबसे माँगा था तेरा प्यार,
जो इस दुनियाँको मंज़ूर नहीं;
चाहे फासले कितने भी रहे,
मेरे दिलसे तुम कभी दूर नहीं...

3617
एक हमदर्द,
जरुरी हैं जीनेके लिए...
हर इंसानसे,
हाल--दिल याँ नहीं होता...

3618
अगर मालूम होता,
इश्क इतना तड़पाता हैं...
हम दिल जोड़नेसे पहले,
हाथ जोड़ लेते...!

3619
जब हजारों झूठ बोले तब,
हर किसीने मोहब्बतकी हमसे;
जब सच्चे दिलसे किसीको चाहा तो,
दर्दके सिवा कुछ मिला.......!

3620
कितनी मासुम हैं,
दिलकी ख्वाहिश...
इश्क भी करना चाहता हैं और...
खुश भी रहना चाहता हैं.......!

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