27 December 2018

3676 - 3680 दुनियाँ किरदार तन्हां ज़माना धोकेबाज़ निगाह दौलत यादें वफा शायरी


3676
ना ढूंढ मेरा किरदार,
दुनियाँकी भीड़में...
वफादार तो हमेशा,
तन्हां ही मिलते हैं...

3677
ज़माना वफादार नहीं हुआ,
तो क्या हुआ...
धोकेबाज़ तो हमेशा,
अपने ही होते हैं...!

3678
दोस्तको दौलतकी,
निगाहसे मत देखो;
वफा करने वाले दोस्त,
अक्सर गरीब हुआ करते हैं...!

3679
बेवफा लोग,
बढ़ रहे हैं धीरे धीरे;
इक शहर अब,
इनका भी होना चाहिए...!

3680
तेरी वफासे,
तो तेरी यादें अच्छी हैं...
रूलाती तो हैं,
पर हमेशा साथ तो रहती हैं...!

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