21 December 2018

3646 - 3650 मोहब्बत प्यार चाह दिलअजीबसी मज़ा इश्क़ शरारतें पागल शायरी


3646
बड़ी अजीबसी मोहब्बत थी उनकी...
पहले पागल किया...
फिर पागल कहा...
फिर पागल समझ कर छोड़ दिया...!

3647
मोहब्बतका मज़ा तो,
पागलपनमें हैं;
समझदारियोंमें इश्क़,
घुटन बन जाती हैं...!

3648
तुझसे शरारतें करनेका...
मन अभी भी करता हैं;
पता नहीं पागलपन हैं या...
मेरी मोहब्बत जिंदा हैं...!

3649
प्यारमें पागल तो,
वो लोग होते हैं जो,
चाहकर छोड दे,
हम तो छोडकर भी चाहते हैं...!

3650
हम पागल हैं,
जो दिलसाफ रखते हैं...
हमें क्या मालूम,
कीमत चेहरेकी होती हैं...
दिलकी नहीं.......!

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