3661
चाँद तारे ज़मीन
पर लानेकी
ज़िद थी,
हमें उनको अपना
बनानेकी ज़िद
थी,
अच्छा हुआ वो
पहले ही हो
गयी बेवफा,
वरना उन्हे पानेको
ज़माना जलानेकी ज़िद
थी...
3662
किताब-ए-इश्क
लिखनेकी,
मुझे फुर्सत नहीं साहिब...
अभी तक बेवफाईपर ही,
मेरी तहकीकात जारी हैं...!
3663
कसूर तो था
इन निगाहोका,
जो चुपकेसे दिदार
कर बैठा...
हमने तो खामोश
रहनेकी ठानी
थी,
पर बेवफा -ए-जुबाँ
इजहार कर बैठा...!
3664
बारिश तो बरसी
हैं,
आज भी मुझे
भिगोकर...
बेवफा... क्या करे...
तेरे दुपट्टेकी वो
छत,
जो सरपर नहीं...!
3665
कुछ इस तरह
मेरी ज़िदगीको,
मैने आसान कर
लिया।
भूलकर तेरी बेवफाई,
मेरी तन्हाईसे प्यार
कर लिया।।
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