3 December 2018

3611 - 3615 किस्मत जिन्दगी आँख ख्वाब गझल आफताब रोशन लाजवाब सौदा नज़र दिल शायरी


3611
आँखोंमें बसके,
दिलमें समाकर चले गए...
ख्वाबिदा जिन्दगी थी,
जगाकर चले गए.......

(ख्वाबिदा = ख्वाबकी तरह)

3612
गझलकी तरह खुबसुरत हो तुम,
आफताबकी तरह रोशन हो तुम...
दिल भर आये सुरत देखकर,
खुदा कसम लाजवाब हो तुम...

3613
दिल,
चल एक सौदा करते हैं,
मैं उसके लिए तड़पना छोड़ देता हूँ...
तू मेरे लिए धड़कना छोड़ दे.......!

3614
यूँ नज़रसे बातकी,
और दिल चुरा ले गये;
हम तो अजनबी समजते थे आपको...
आप तो हमको अपना बना गये...

3615
किस्मत और दिलकी,
आपसमें अक्सर नहीं बनती;
जो लोग दिलमें होते हैं,
वो किस्मतमें नहीं होते...

No comments:

Post a Comment