3531
बच न सका
ख़ुदा भी,
मुहब्बतके तकाज़ोंसे...
एक महबूबकी खातिर,
सारा जहाँ बना
डाला.......!
3532
प्यारका जज़्बा
भी,
क्या ख़्वाब
दिखा देता हैं...
अजनबी चेहरेको,
महबूब
बना देता हैं...!
3533
याद महबूबकी और,
शिद्दत सर्दीकी...
देखते हैं.......
हमें
कौन बीमार करता
हैं...!
3534
मोहब्बतके पटवारीको,
जानते हो साहिब...
मुझे मेरा महबूब,
अपने नाम करवाना
हैं...!
3535
मौत आये ए
खुदा,
मेरे महबूबसे पहले
मुझको;
आँखे मूंदनेसे पहले,
उनके दीदारकी इन्तेजा
हैं...!
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