9 June 2019

4331 - 4335 बात फूरस्त ख़्वाहिश बदमाश मसरूफ शामिल फुरसत आलम क़रीब लम्हे शायरी


4331
ये जो चंन्द फूरस्तके लम्हे,
मिलते हैं जीनेके...
मैं उन्हें भी,
तुम्हे सोचते हुए ही खर्च कर देता हूँ...!

4332
कुछ लम्हे...
तुझसे बात करनेकी हसरत हैं बस;
मैने कब कहां,
अपना सारा वक़्त मुझे दे दो.......

4333
तलब ये नहीं कि,
किसी औरकी यादोंका...
हिस्सा हो जाऊँ !
ख़्वाहिश हैं, लम्हे भरके लिए ही हीं,
तेरे सबसे क़रीब हो जाऊँ.......!

4334
ये लम्हे बहुत बदमाश हैं,
जो तुम्हारे साथ गुज़ारूँ तो...
झटसे गुज़र जाते हैं;
और जब तुम नहीं होते तो...
मानो ठहरसे जाते हैं.......!

4335
"मेरी मसरूफियतके हर लम्हेमें,
शामिल हैं, तुम्हारी यादें...
सोचो....... मेरी फुरसतोंका,
आलम क्या होगा.......!"

8 June 2019

4326 - 4330 ज़िंदगी दुनिया होंठ मुस्कुरा निशानी हिफाजत मासूम चेहरा यार उम्र उदास शायरी


4326
निशानी क्या बताऊँ,
तूझे अपनें घरकी...
जहाँकी गलियाँ उदास लगे,
वहीं चले आना.......

4327
मुस्कुराहट जुदा करना,
मेरे यारके होठोंसे...
मासूमसा चेहरा हैं,
उदास हो तो अच्छा नहीं लगता...

4328
उनके हर एक लम्हेकी,
हिफाजत करना,  खुदा...
मासूमसा चेहरा हैं,
उदास अच्छा हीं लगता.......

4329
बताँऊ तुम्हें एक निशानी,
उदास लोगोंकी.......
कभी गौर करना,
यें हसते बहुत हैं.......

4330
उदास होनेके लिए,
उम्र पड़ी हैं;
नज़र उठाओ,
सामने ज़िंदगी खड़ी हैं;
अपनी हँसीको,
होंठोंसे जाने देना;
क्योंकि आपकी मुस्कुराहटके पीछे,
दुनिया पड़ी हैं.......!

4321 - 4325 खुशी गम अवसर मुस्कुरा याद शख्स दर्द साज आवाज बहाने उदास शायरी


4321
क्यों खुशीसे,
जीनेके बहाने ढूँढें...
गम तो किसी भी बहाने,
मिल जाता हैं...

4322
बिखरनेके बहाने तो,
बहुत मिल जायेगे;
आओ हम जुड़नेके,
अवसर खोजे.......!

4323
बहाने उदास होनेके,
बहुत मिलेंगे...
कभी मुस्कुराना हो तो,
हमे याद कर लेना...!

4324
कितना कुछ जानता होगा,
वो शख्स मेरे बारेमें...
मेरे मुस्कुरानेपर भी जिसने,
पूछ लिया की तुम उदास क्यों हो...

4325
गम हूँ, दर्द हूँ, साज हूँ,
या आवाज हूँ...
जो भी हूँ बस,
मैं तुम बिन बहुत उदास हूँ...

6 June 2019

4316 - 4320 दुनियाँ बात ग़ज़ल इश्क़ मोहब्बत याद आँख रिश्ता लफ्ज जख्म मरहम बहाने उदास शायरी


4316
मैं खो जाऊँगा,
अपनी दुनियाँमें इस कदर...
तुम ढ़ूंढोगे बहाने,
मुझसे बात करनेके...!

4317
ये ग़ज़ल... इश्क़..... मोहब्बत.......
और शायरी अपनी.......!
ये सब बहाने हैं,
तुझको याद करनेके...!!!

4318
यूँ ही गुजर जाती हैं,
शाम अंजुमनमें;
कुछ तेरी आँखोंके बहाने,
कुछ तेरी बातोके बहाने...!

4319
मुझको ढूँढ लेती हैं,
रोज़ नये बहानेसे...
तेरी याद वाक़िफ़ हो गई हैं,
मेरे हर ठिकानेसे.......!

4320
रिश्तोके लफ्ज भी,
बड़े बेईमान होते हैं...
मरहम देनेके बहाने आते हैं,
और जख्म देके चले जाते हैं...

3 June 2019

4311 - 4315 तरस आँखे बेपनाह प्यार मोहब्बत तमन्ना ईमान इम्तिहान बरस शायरी


4311
उन्होंने कहां बहुत बोलते हो,
अब क्या बरस जाओगे...
हमने कहां,
चुप हो गए तो तुम तरस जाओगे...!

4312
"सामने ना हो तो तरसती हैं आँखे,
बिन तेरे बहुत बरसती हैं आँखे...
मेरे लिए ना सही इनके लिए जाओ,
क़्यूँकी तुमसे बेपनाह प्यार करती हैं आँखे..."

4313
उसकी मोहब्बत भी,
बादलोकी तरह निकली...
छायी मुझपर और,
बरस किसी औरपर गयी...
   
4314
तमन्ना हैं, इस बार बरस जाये,
ईमानकी बारिश...
लोगोंके ज़मीरपर,
धूल बहुत हैं.......

4315
जमीन जल चुकी हैं, आसमान बाकि हैं
सूखे कुए तेरा, इम्तिहान बाकि हैं
बरस जाना इस बार, वक्त पर हे मेघा
क्योंकि किसीका मकान गिरवी हैं,
तो किसीका लगान बाकि हैं

2 June 2019

4306 - 4310 बुँदे बादल याद जाम बरसात बहला आँखें चेहरे मेरे जुल्फ गरज बरस शायरी


4306
दो बुँदे क्या बरसी,
चार बादल क्या छा गये;
किसीको जाम,
तो किसीको वो याद गये...!

4307
तपिश और बढ़ गई,
इन चंद बूंदोंके बाद...
काले स्याह बादलने भी,
बस यूँ ही बहलाया मुझे...

4308
रहने दो अब कि,
तुम भी मुझे पढ़ ना सकोगे...
बरसातमें कागजकी तरह,
भीग गया हूँ.......

4309
हमारे शहर जाओ,
सदा बरसात रहती हैं... 
कभी बादल बरसते हैं,
कभी आँखें बरसतीं हैं.....

4310
चेहरेपे मेरे जुल्फोंको,
बिखराओ किसी दिन...
क्या रोज़ गरजते हो,
बरस जाओ किसी दिन...!

25 May 2019

4301 - 4305 ज़िन्दगी हथेली बात किस्मत दायरा दर्द काँटें निशान लकीर शायरी


4301
जरा और कसकर थाम,
मेरी हथेलीको...
अच्छा लगता हैं इन लकीरोंका,
लकीरोंसे बात करना...!

4302
जला दिया हाथकी,
उन लकीरोंको ही यारों...
रोज मुझसे कहां करती थी की,
वो तेरी किस्मतमें नहीं हैं...!

4303
दायरा, ज़िन्दगीके लिए,
हर बार बनाता हूँ;
लकीरे वहीं रहती हैं,
मैं खिसकता जाता हूँ...

4304
और भी बनती लकीरें,
दर्दकी शायद...
शुक्र हैं तेरा रब,
जो हाथ छोटासा दिया...!

4305
काँटोंके कुछ निशान भी थे,
मेरे पैरोंमें...
पर लोग सिर्फ मेरे हाथोंकी,
लकीरें देखते रहे...!

24 May 2019

4296 - 4300 ख़ास जख्मी काबू हथेली उल्फत जंजीर जुदा सफ़र निशान लकीर शायरी


4296
लकीरें तो हमारीभी,
बहुत ख़ास हैं...
तभी तो तू,
हमारे पास हैं...!

4297
जख्मी हथेलियोंका सबब,
ना पूछो क्या हैं...
एक लकीर खींची हैं,
तुम्हें पानेके खातिर.......!

4298
हाथकी लकीरें भी,
कितनी अजीब हैं...
हाथके अन्दर हैं,
पर काबूसे बाहर...!

4299
उल्फतकी जंजीरसे डर लगता हैं,
कुछ अपनी ही तकदीरसे डर लगता हैं;
जो जुदा करते हैं किसीको किसीसे...
हाथकी बस उसी लकीरसे डर लगता हैं...

4300
अजीबसी पहेलियाँ हैं,
मेरे हाथोंकी लकीरोंमें...
लिखा तो हैं सफ़र मगर,
मंज़िलका निशान नहीं...।

4291 - 4295 नजरअंदाज बेरूखी दर्द मेहमान नवाजी होंठ कारोबार इबादत इश्क़ शायरी


4291
इश्क़ हैं उनसे इसलिए,
नजरअंदाज नहीं किया कभी...
वरना बेरूखी उनसे कहीं,
बेहतर जानते हैं हम.......!

4292
माना की तेरे दरपे हम,
खुद चलकर आये थे  इश्क़...
लेकिन दर्द और सिर्फ दर्द,
ये कहाँ की मेहमान नवाजी हैं...?

4293
सूखेसे वो दो होंठ,
चायकी वो भरी प्याली...
इश्क़ देखना हैं,
तो कभी इन्हें टकराते देखिये...!

4294
घाटे और मुनाफेका,
बाज़ार नहीं...
इश्क़ एक इबादत हैं,
कारोबार नहीं.......!

4295
बहुत लाज़मी था,
उनका मग़रूर हो जाना...
इश्क़ नही इबादत उनकी,
कर बैठे थे हम.......

22 May 2019

4286 - 4290 ख्याल आदत इंतज़ार दर्द जुर्म कुबूल आँख लब जिस्म रूह हकीकत इबादत इश्क़ शायरी


4286
रहना यूँ तेरे ख्यालोमें,
ये मेरी आदतसी हैं...
कोई कहता हैं इश्क़,
कोई कहता हैं इबादतसी हैं...

4287
इंतज़ार करना ही पड़ता हैं जनाब...
इश्क़ कोई छोटी चीज़ नहीं होती.......!

4288
तैयार हैं तेरे इश्क़में,
हर दर्द सहनेको हम...
तू जुर्म तो कर,
मुझे अपना कुबूल करनेका...!

4289
शायरी उसीके लबोंपर,
सजती हैं यारों...
जिसकी आँखोंमें,
इश्क़ पलता  हैं...!

4290
जिस्मसे रूह तक,
जाए तो हकीकत हैं इश्क़;
और रूहसे रूह तक जाए,
तो इबादत हैं इश्क़.......!

21 May 2019

4281 - 4285 फितरत मोहब्बत हुनर जिंदगी बारिश रूह इश्क़ शायरी


4281
ना तेरा हैं,
ना मेरा हैं...
इश्क़ फितरतसे ही,
लुटेरा हैं.......!

4282
चलो मोहब्बत करनेका,
हुनर सीखाते हैं...
इश्क़ तुम शुरू करो,
निभाकर मैं दिखाता हूँ...!

4283
तेरे इश्क़ कि बूँद,
इसमे मिल गई थी...
इसलिए मैने जिंदगीकी,
सारी कड़वाहट पी ली...!

4284
कभी इश्क़ करना,
तो बारिशकी बूँदोंसा करना...
जो तनपे गिरें और,
अंदर तलक रूह भीगे...!

4285
उसके रूहकी वो छुअन...
और मेरा यूँ  पिघल जाना...
बस यहीं तो हैं इश्क़...!