4281
ना तेरा हैं,
ना मेरा हैं...
इश्क़ फितरतसे ही,
लुटेरा हैं.......!
4282
चलो मोहब्बत करनेका,
हुनर सीखाते हैं...
इश्क़ तुम शुरू
करो,
निभाकर मैं
दिखाता हूँ...!
4283
तेरे इश्क़ कि
बूँद,
इसमे मिल
गई थी...
इसलिए मैने जिंदगीकी,
सारी कड़वाहट पी
ली...!
4284
कभी इश्क़ करना,
तो बारिशकी बूँदोंसा करना...
जो तनपे
गिरें और,
अंदर
तलक रूह भीगे...!
4285
उसके रूहकी
वो छुअन...
और मेरा यूँ पिघल
जाना...
बस यहीं तो
हैं इश्क़...!
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