19 May 2019

4266 - 4270 वफ़ा नादाँ किताब आतिश फिरदौस जहन्नुम हाल इजहार इश्क़ शायरी


4266
चलो मान लिया,
नहीं आता हमे,
इजहार--इश्क़ करना...
पर शायरियोंको,
ना समझ सको...
इतने नादाँ तो तुम भी नहीं...!

4267
कुछ मुड़े - मुड़ेसे हैं,
किताब--इश्क़के पन्ने...
ये कौन हैं.......
जो हमारे बाद पढता हैं...!!!

4268
आतिश--इश्क़ वो जहन्नुम हैं,
जिसमें फिरदौसके नजारे हैं...

4269
इश्क़में जिसने भी,
बुरा हाल बना रखा हैं    
हीं कहता हैं अजी,
इश्कमें क्या रखा हैं ।।

4270
हम भी बिकने गए थे,
बाज़ार--इश्क़में फराज...
क्या पता था,
वफ़ा करने वालोको...
लोग खरीदा नहीं करते.......

No comments:

Post a Comment