4206
चुपचाप सुलगते हैं सीनेमें,
अपनी खामोशियोके साथ...
ये बात और
हैं, न धुंआ
उठा,
मेरे जल जानेके बाद.......!
4207
मुझपर खामोशीका,
इल्ज़ाम
लगाने वाले;
किसी शाम मेरी
उदासियाँ भी,
तो
आ कर सुन.......
4208
खामोश ही रहे अल्फ़ाज़,
इज़हार न कर
ख्यालातका;
जाने कौन क्या
मतलब निकाल ले,
उनकी किसी बातका.......!
4209
एक बात कहुँ,
वक्त मिला तो,
बात कर लिया
करो...
खामोशिया
रिश्तोको,
तोड़
देती हैं.......
4210
ध्यान रहे कि,
रूठी हुई खामोशीसे...
बोलती हुई शिकायतें,
अच्छी होती हैं.......!
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