17 May 2019

4256 - 4260 नींद दवा कोहरा नज़दीक नादान तकदीर सजा किस्मत लकीरें इश्क़ शायरी


4256
नींद आनेकी,
दवाईयाँ हजार हैं...
ना आनेके लिए,
इश्क़ काफी हैं...!

4257
इश्क़ हुआ,
कोहरा हो जैसे;
तुम्हारे सिवा,
कुछ दिखता ही नहीं...

4258
हीं इश्क़ हैं शायद...
नज़दीक नहीं तुम मेरे...
पर मैं तुमसे दूर नहीं...

4259
खुदा तु भी कारीगर निकला...
खीच दी दो-तीन लकीरें हाथों मे...
और ये नादान इंसान उसे,
तकदीर समझ बैठा.......!

4260
हाथकी लकीरें सिर्फ,
सजावट बयाँ करती हैं...
किस्मत अगर मालूम होती,
तो मेहनत कौन करता.......!

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