9 May 2019

4231 - 4235 जमाना तकलीफ नाम ख़्वाब मिज़ाज तरीका आदत वक्त कामयाब खुश शायरी


4231
बदल जाए चाहे सारा जमाना,
पर ना बदलना तुम कभी;
ख़्वाबोंके खुशनुमा शहरमें,
मिलने आना तुम कभी...!

4232
कोई कितना ही,
खुश-मिज़ाज क्यों  हो...
रुला देती हैं किसीकी,
कमी कभी-कभी...!

4233
हर किसीको खुश रख सकूँ,
मुझे वो सलीका नहीं आता 
क्यूंकि शायद मुझेजो मैं नहीं हूँ
वो दिखानेका तरीका नहीं आता 

4234
वक्तकी एक आदत बहुत अच्छी हैं,
जैसा भी हो गुजर जाता हैं 
कामयाब इंसान खुश रहे ना रहे,
खुश रहने वाला इंसान कामयाब जरूर हो जाता हैं 

4235
"दुनिया उन्हीकी खैरियत पूछती हैं,
जो पहलेसे ही खुश हों;
जो तकलीफमें होते हैं,
उनके तो नाम तक भूल जाते हैं...

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