1 May 2019

4191 - 4195 इश्क लब आँखें निगाहें वादा अलफाज गुमसुम बात खफा शोर खामोशी शायरी


4191
मुद्दत बाद जब उसने,
मेरी खामोश आँखें देखी तो...
ये कहकर फिर रुला गया कि,
लगता हैं अब सम्भल गए हो...!

4192
कहना बहुत कुछ हैं...
अलफाज भी जरासे कम हैं;
खामोश तुम हो,
गुमसुमसे हम हैं.......!

4193
ये अलग बात हैं की,
कोई समझे या समझे;
इश्क जब भी बयाँ हुआ हैं...
खामोशीसे ही हुआ हैं.......

4194
लब तो खामोश रहेंगे...
ये वादा हैं मेरा तुमसे;
गर कह बैठें कुछ निगाहें...
तो खफा मत होना.......

4195
एक शोर हैं मुझमें,
जो खामोश बहुत हैं.......

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