16 May 2019

4251 - 4255 मिज़ाज यार कमाल बेखबर चेहरे मोहब्बत रूह नीलाम जंजीर कैद प्यार इश्क़ शायरी


4251
"वो अच्छा हैं, तो अच्छा हैं...
बुरा हैं, तो भी अच्छा हैं...
मिज़ाज--इश्क़में,
ऐब--यार देखे नहीं जाते...!"

4252
ये इश्क़ हैं जनाब...
जिसमें इंसान निखरता भी कमाल हैं,
और बिखरता भी कमाल हैं.......

4253
कौन कहता हैं,
चेहरेसे इश्क़ होता हैं...
हमने बेखबर सायेसे,
मोहब्बतकी हैं.......!

4254
रूह तक नीलाम हो जाती हैं,
इश्क़के बाज़ारमें...
इतना आसान नहीं होता,
किसीको अपना बना लेना...!

4255
मेरे प्यारको कभी,
जंजीर ना समझना...
जो खुद तेरे इश्क़की कैदमें हो,
वो तुझे क्या बांधेगा.......!

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