17 August 2019

4616 - 4620 आँख मोहब्बत दीवानें नजरे लफ्ज शक्ल उम्र हालात उम्र आईना शायरी


4616
जबसे देखा हैं तेरी आँखोंमे,
कोई भी आईना सच्चा नहीं लगता...
तेरी मोहब्बतमे ऐसे हुए दीवानें,
तुम्हें कोई और देखें अच्छा नहीं लगता...!

4617
आईना उससे छीन लाया हूँ...
खुदको नजरे लगाती रहती हैं हरदम.......

4618
आईना फैला रहा हैं,
खुदफरेबीका ये मर्ज...
हर किसीसे कह रहा हैं,
आपसा कोई नहीं...।

4619
लफ्ज ही होते हैं,
इंसानका आईना...
शक्लका क्या हैं,
वो तो उम्र और हालातके साथ...
अक्सर बदल जाती हैं...!

4620
घरका आईना भी,
हक़ ज़ता रहा हैं...
ख़ुद तो वैसा ही हैं,
उम्र मेरी बता रहा हैं...!

16 August 2019

4611 - 4615 दिल दुनिया दिवाने खबर फ़ितरत गुनाह अंदाज आवाज आसमाँ आईना शायरी


4611
यहाँ हर कोई रखता हैं खबर,
गैरोंके गुनाहोंकी...
अजीब फ़ितरत हैं,
कोई आईना हीं रखता...।

4612
आईना और दिल,
वैसे तो दोनो ही बडे नाज़ुक होते हैं...
लेकिन, आईनेमें तो सभी दिखते हैं,
और दिलमें सिर्फ अपने दिखते हैं...!

4613
अंदाज शायराना,
बेशक हैं हमारा भी, लेकिन...
हर दफा टूटनेकी आवाज हो,
वो आईना भी नहीं हैं हम.......

4614
एक आईना और एक मैं,
इस दुनियामें तेरे दिवाने दो...

4615
मत पूछिये हमसे,
हद्द हमारी गुस्ताख़ियोंकी...
रखकर ज़मींपे आईना,
आसमाँ कुचल देते हैं...!

15 August 2019

4606 - 4610 दिल उम्र बदन भूल घाव डर बेजान जिस्म मरहम जख्म शायरी


4606
जख्म खुद बता देंगे की,
तीर किसने मारा हैं...
हम कहाँ कहते हैं कि,
ये काम तुम्हारा हैं...

4607
कुछ जख्म ऐसे हैं,
कि दिखते नहीं...
मगर ये मत समझिये,
कि दुखते नहीं...!

4608
काफी दिनोंसे,
कोई नया जख्म नहीं मिला...
पता तो करो,
"अपने" हैं कहां...?

4609
बदनके घाव दिखाकर,
जो अपना पेट भरता हैं...
सुना हैं वो भिखारी,
जख्म भर जानेसे डरता हैं !

4610
उम्रभर गालीब,
यहीं भूल करता रहाँ...
जख्म दिलपें था और,
बेजान जिस्मपर मरहम लगाता रहा...!

13 August 2019

4601 - 4605 जिन्दगी क़ाँटे फुल झूठ हँसी जिद्द अजनबी मौजूद नमक जख्म शायरी


4601
तुम क़ाँटोंकी बात करते हो,
हमने तो फुलोंसे भी जख्म पाए हैं;
तुम गैरोंकी बात करते हो,
हमने तो अपने भी आजमाए हैं...

4602
झूठी हँसी ,
जख्म और बढ़ता गया...
इससे बेहतर था,
खुलकर रो लिए होते...

4603
जिन्दगी गुजर रही हैं,
इम्तेहानोंके दौरसे...
एक जख्म भरता नहीं,
और दूसरा आनेकी जिद्द करता हैं...

4604
अजनबी शहरमें किसीने,
पीछेसे पत्थर फेंका हैं...
जख्म कह रहा हैं,
जरुर इस शहरमें कोई अपना मौजूद हैं...

4605
कहाँ जख्म खोल बैठा पगले...
ये शहर हैं नमकका.......!

11 August 2019

4596 - 4600 दिल मोहब्बत जिंदगी तकलीफ़ फ़क़ीर मरहम मतलब रिश्ते समय नज़रिया एहसास शायरी


4596
मोहब्बतमें अपने आपको,
हमेशा बादशाह समझा हमने...
एहसास तब हुवा जब,
किसीको फ़क़ीरकी तरह मांगना पड़ा...

4597
मेरे अशआर ही,
मेरे एहसासका मरहम हैं
मै शायर ना होता,
तो पागल होता ।।

4598
लोग बुरे नहीं होते...         
बस जब आपके मतलबके नहीं होते...
तो बुरे लगने लगते हैं...
समझनी हैं जिंदगी तो पीछे देखो,          
जीनी हैं जिंदगी तो आगे देखो...
हम भी वहीं होते हैं,
रिश्ते भी वहीं होते हैं...
और रास्ते भी वहीं होते हैं,
बदलता हैं तो बस,
समय, एहसास, और नज़रिया...!

4599
सबके दिलोंका,
एहसास अलग होता हैं...
इस दुनियामें सबका,
व्यवहार अलग होता हैं...
आँखें तो सबकी,
एक जैसी ही होती हैं...
पर सबका देखनेका,
अंदाज़ अलग होता हैं...

4600
तकलीफ़ मिट गई,
मगर एहसास रह गया...
ख़ुश हूँ कि कुछ कुछ तो,
मेरे पास रह गया...

10 August 2019

4591 - 4595 वक्त मुहब्बत रिश्ते सनम याद जिन्दगी दुनिया जख्म अहसास शायरीहैं


4591
वक्त, मुहब्बत और रिश्ते ये वो चीजें हैं,
जो हमें मुफ्त मिलती हैं।
मगर इनके बेशकीमती होनेका अहसास तब होता हैं...
जब ये कहीं खो जाती हैं।

4592
लपेट ली हैं मैंने,
तेरे अहसासकी चादर  सनम...
पता हैं मुझे आज फिरसे,
तेरी यादोंकी लहर तेज हैं...।।

4593
सही वक्तपर करवा देंगे,
हदोंका अहसास
कुछ तालाब खुदको,
समंदर समझ बैठे हैं ।।

4594
बैठता वहीं हूँ जहाँ,
अपनेपनका अहसास हैं मुझको...
यूँ तो जिन्दगीमें,
कितने ही लोग आवाज देते हैं...

4595
छोड़ देंगें तेरी दुनियाको,
एक रोज खुदा,
जख्म दे दे कर किरायेकी जिन्दगीका,
अहसास ना दिला.......!

9 August 2019

4586 - 4590 होंठ ज़िक्र आँखे पैग़ाम दुनिया रिश्ता फर्क शराफत शख्स मशहुर नाम शायरी


4586
होंठोने तेरा ज़िक्र किया,
पर मेरी आँखे तुझे पैग़ाम देती हैं...
हम दुनियासे तुझे छुपाएँ कैसे,
मेरी हर शायरी तेरा ही नाम लेती हैं...!

4587
बेनाम ही रखले अपना रिश्ता...
नाम देंगे तो,
दुनिया बदनाम कर देगी...!

4588
पायलका हैं नाम शराफत,
और घुंघरू हैं बदनाम;
बस दोनोंमें फर्क हैं इतना कि,
एक सुबह तो एक शाम.......!

4589
गुमनाम हैं वो शख्स,
जो शहीद हो गया।
नारे लगाने वाला,
मशहुर हो गया।।

4590
सर झुकाकर,
रब वहांसे चल दिया...
नाम पर उसके,
जहां दंगा हुआ.......

7 August 2019

4581 - 4585 होंठ उलझनें राह ज़िन्दगी कोशिशें बेहिसाब कसम चर्चे मशहूर रिश्ता नाम शायरी


4581
कभी तुम्हारा नाम,
कभी चिलम...
होठोंपर मेरे हमेशा,
चिंगारियाँ ही रहीं हैं...!

4582
हजारों उलझनें राहोंमें,
और कोशिशें बेहिसाब;
इसीका नाम हैं ज़िन्दगी,
चलते रहिये जनाब...!

4583
लोग बदनाम करते हैं हमें,
जिनके नामसे...
खुदा कसम अभी तो जी भरके,
उन्हें देखा भी नहीं हैं.......!


4584
नाम बदनाम होनेकी,
चिंता छोडो मेरे दोस्त...
जब-जब चर्चे हुए हैं,
तब-तब मशहुर हुए हैं हम...!

4585
आज गुमनाम हूँ तो ज़रा,
फासला रख मुझसे...
कल फिर मशहूर हो जाऊँ तो,
कोई रिश्ता निकाल लेना...!

6 August 2019

4576 - 4580 दिल जिंदगी फ़र्ज़ घबराहट बेशक रिश्ते पहेली अहसास नाम शायरी


4576
दरख़्त नीम हूँ,
मेरे नामसे घबराहट तो होगी;
छांव ठंडी ही दूँगा,
बेशक पत्तोंमें कड़वाहट होगी...

4577
ये मेरा फ़र्ज़ बनता हैं साहब,
मैं उसके हाथ धुलवाऊँ...
सुना हैं उसने,
मेरे नामपर कीचड़ उछाला हैं...!

4578
जिंदगी जिंददिलीका नाम हैं
मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं

4579
अज़ीब पहेली हैं,
कहीं रिश्तोंके नाम ही नहीं होते...
और कहीं पर,
सिर्फ नामके ही रिश्ते रह जाते हैं...!

4580
मेरे लिए अहसास मायने रखता हैं...
रिश्तेका नाम... चलो,
तुम रख लो...!

4 August 2019

4571 - 4575 जहाँ आसमाँ मेहमान गम नफरत कुर्बत मुअससर बारिश नाम शायरी


4571
तेरे बगैर मुर्शिद,
हम कुछ भी हीं जहाँमें;
हम तेरा नाम लेके,
उड़ते हैं आसमाँमें...!

4572
"कुछ तो बात हैं मेरी,
मेहमान-नवाजीमें;
की गम एक बार आते हैं तो,
जानेका नाम नहीं लेते...!"

4573
लेकरके मेरा नाम,
मुझे कोसती तो हैं...
नफरतमें ही सही,
पर मुझे सोचती तो हैं...

4574
ये तेरा "नाम" ही हैं,
जो संभाले हुए हैं मुझे;
की "बेक़रार" होकर भी
"बरक़रार" हूँ मैं...!

4575
तेरी कुर्बत भी नहीं मुअससर
और ये बारिश हैं कि
रुकनेका नाम नहीं लेती।

कुर्बत- नजदीक
मुअससर- मौजूद