5226
ताल्लुकात
बढ़ाने हैं तो,
कुछ आदतें बुरी भी
सीख ले गालिब...
ऐब न हों
तो,
लोग महफ़िलों में नहीं
बुलाते...!
5227
अगर दे तु
हमको,
अपने हुस्नकी तारीफका
एक मौका...
कसमसे,
पूरी महफिलको तेरा
दिवाना ना कर
दुँ,
तो लानत
है मैरी शायरीपर.......!
5228
ऐ दिल, तेरी
हर धडकनसे निकले,
दुआ मेरे यारके लिए...
महफिलसे उठने
तक करूँगी,
उसकी
हर तरह खातिर...
भाग्यश्री
2529
एक महफ़िलमें,
कई महफ़िलें होती हैं शरीक...
जिसको भी पाससे देखोगे,
अकेला होगा.......!
5230
लौट आये हम,
शायरोकी महफ़िलमें...
पता तो चले
हमारे बाद,
कितने
दिवाने और आ
गए यहाँ...!