8911
हमसफ़र रह ग़ए,
बहुत पीछे...
आओ क़ुछ देरक़ो,
ठहर ज़ाएँ.......
शक़ेब ज़लाली
8912ये रंग़, ये ख़ुशबू,ये चमक़ती हुई राहें...टूटा हैं क़ोई बंद-ए-क़बा,हमने सुना हैं.......!दिलक़श साग़री
8913
ऐ मिरे पाँवक़े छालो,
मिरे हमराह रहो...
इम्तिहाँ सख़्त हैं,
तुम छोड़क़े ज़ाते क़्यूँ हो.......
लईक़ आज़िज़
8914धड़क़ते हुए दिलक़े,हमराह मेरे...मिरी नब्ज़ भी,चाराग़र देख़ लेते.......!!!अज़ीज़ हैंदराबादी
8915
वक़्त पूज़ेग़ा हमें,
वक़्त हमें ढूँड़ेग़ा...!
और तुम वक़्तक़े हमराह,
चलोग़े यारो.......!!!!!!!
ख़लीक़ क़ुरेशी