20 February 2017

999


न जाने ऐसी भी क्या
दिल्लगी थी तुमसे,
मैंने आखरी ख्वाहिश में भी
तेरी मोहब्बत मांगी !!!

998


जब टूटने लगे होसला तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते,
ढूंढ लेना अंधेरोमे मंज़िल अपनी,
जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते !

997


सुकून मिलता है
दो लफ्ज़ कागज पर उतार कर,
कह भी देता हुं और...
आवाज़ भी नहीं होती l

996


निगाहों में मंज़िल थी;
गिरे और गिर कर संभलते रहे;
हवाओं ने तो बहुत कोशिश की;
मगर चिराग आँधियों में भी जलते रहे।

995


इजाजत तो हमने भी नही दी थी
मोहब्बत करने की उन्हें…
बस वो नजर उठाते गए
और हम तबाह होते गए…….

994


अकल वालों के मुकद्दर में
ये जुनून कहां...
हम इश्क वाले हैं
जो हर चीज लुटा देते है.....!

993


जो हैरान हैं मेरे सब्र पर
उनसे कह दो,
जो आसूँ जमीं पर नहीं गिरते,
दिल चीर जाते हैं

992


बिन मांगे ही मिल जाती हैं
मोहब्बत किसी को,
कोई खाली हाथ रह जाता है
हजारों दुआओं के बाद !!!

991


तुम चले गए पर
तेरा अहसास रह गया...
चलो कुछ न कुछ तो
मेरे पास रह गया…....

19 February 2017

990


जानता हूँ,
मगर फिर भी पूछना चाहता हूँ...
आप आइना देखकर बताना...
मेरी पसंद कैसी है.......!

989


माला की तारीफ़ तो करते हैं सब,
क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं...
काबिले तारीफ़ धागा है जनाब,
जिसने सब को जोड़ रखा है

988


देखी जो नब्ज मेरी,
हँस कर बोला वो हकीम,
जा जमा ले महफिल पुराने दोस्तों के साथ..
तेरे हर मर्ज की दवा वही है …

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दिल तड़पता रहा और वो जाने लगे,
संग गुज़रे हर लम्हे याद आने लगे,
खामोश नज़रों से देखा जो उसने मुड कर,
भीगी पलकों से हम भी मुस्कराने लगे !!

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लाख शिकायतें हैं
मगर कैसे करूँ बयाँ
इधर दिल अपना...
उधर वो अपने.......

17 February 2017

985


ये दिल ही तो जानता है
मेरी पाक मुहब्बत का आलम फ़राज़।
के मुझे जीने के लिए साँसों की नही 
तेरी जरूरत है.......

984


सोचा था की  वो बहुत
टूट कर चाहेगा हमे फ़राज़।
लेकिन चाहा भी हमने
और टूटे भी हम.......

983


बेशक वो खूबसूरत
आज भी है फ़राज़।
पर चेहरे पर वो मुस्कान नही
जो हम लाया करते थे.......

982


तेरी मोहब्बत का सफर
ऐसा लग रहा है फ़राज़।
जैसे किफायती दाम पर
आँसू बिक रहे हो.......

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जिनको सूरज मेरी चौखट पे
मिला करता था फ़राज़।
वो आज देते है
खैरात मे उजाले मुझको.......

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तोहमते तो लगती रही
रोज नयी नयी हम पर फ़राज़।
मगर जो सबसे हसीं इल्ज़ाम था…
वो तेरा नाम था.......