30 March 2017

1165 चाँद किरदार दाग पास रोशनी बाँट शायरी


1165
चलो चाँदका किरदार,
अपना लेते हैं फ़राज़।
दाग अपने पास रखके,
रोशनी बाँट देते हैं…….

1164 दिल समंदर सुन गहरा समाया सिवा शायरी


1164
सुना हैं दिल समंदरसे भी,
गहरा होता हैं, फ़राज़।
फिर क्यूँ नहीं समाया,
कोई और उसके सिवा.......

1162 जानता शख्स मुस्करा उदास शायरी


1162
कितना कुछ जानता होगा,
वो शख्स मेरे बारेमें, फ़राज़।
मेरे मुस्करानेपर भी जिसने पूछ लिया,
की तुम उदास क्यूँ हो.......

1163 जरूरत यकीन पास कहने शायरी


1163
अगर तुम्हे यकीन नहीं,
तो कहनेको कुछ नहीं मेरे पास, फ़राज़।
अगर तुम्हे यकीन हैं,
तो मुझे कुछ कहनेकी जरूरत ही नहीं.......

1161 मौत कह नाराजगी ख़त्म बहुत बदल जिया शायरी


1161
अब मौतसे कह दो,
हमसे नाराजगी ख़त्म भी करें, फ़राज़।
वो बहुत बदल गए हैं,
जिनके लिए हम जिया करते थे.......

29 March 2017

1160 ज़ख़्म इलाज कुरेदकर देख कह वक़्त शायरी


1160
करता हैं वो मेरे,
ज़ख़्मोंका इलाज, फ़राज़।
कुरेदकर देख लेता हैं रोज,
और कहता हैं वक़्त लगेगा . . . . . . .

1159 ख्वाब देख पूछ बेखबर यादें सोने शायरी


1159
वो मुझसे पूछती हैं,
ख्वाब किस किसके देखते हो, फ़राज़ l
बेखबर जानती ही नही,
यादें उसकी सोने कहाँ देती हैं. . . . . . .ll

1158 दिल जान मुहब्बत आलम साँस जरूरत जीने शायरी


1158
ये दिल ही तो जानता हैं,
मेरी पाक मुहब्बतका आलम, फ़राज़।
के मुझे जीनेके लिए,
साँसोंकी नहीं तेरी जरूरत हैं . . . . . . .

1157 हुस्न पर्दे जरूरत शायरी


1157
तेरे हुस्नको,
पर्देकी जरूरत ही क्या हैं, फ़राज़।
कौन रहता हैं होशमें,
तुझे देखनेके बाद . . . . . . .

1156 दीदार काबिल इनायत नजर रुख इधर शायरी


1156
दीदारके काबिल,
कहाँ मेरी नजर हैं, फ़राज़।
ये तेरी इनायत हैं की,
रुख तेरा इधर हैं......

28 March 2017

1155 दिल देख इमानदारी फिक्र शायरी


1155
देखली तेरी इमानदारी, दिल...
तू मेरा और...
फिक्र किसी औरकी...?

1154 ख़ामोशियाँ अजीब रिश्ता निभा लब अक्सर खुल आवाज़ शायरी


1154
ख़ामोशियाँ भी,
अजीब रिश्ता निभाती हैं...
लब अक्सर खुलते हैं,
पर कभी आवाज़ नहीं आती हैं...

1153 देख फूल वफा खिल मुरझा शायरी


1153
तुमने अभी देखी ही कहाँ हैं,
हमारी फूलों जैसी वफा,
हम जिसपर खिलते हैं,
उसीपर मुरझा जाते हैं...

1151 बार साथ रिश्ता चोट शायरी


1151
हर बार यहीं,
होता हैं मेरे साथ,
हर एक रिश्ता,
नयी चोट दे जाता हैं !

1152 ज़िन्दगी सफर शिकायत दर्द दर्ज कतारे शायरी


1152
यूँ तो ज़िन्दगी,
तेरे सफरसे शिकायते बहुत थी...
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुँचे,
तो कतारे बहुत थी...!

27 March 2017

1150 प्यार ज़िन्दगी आशना अजनबी बदली ख़बर चाँदनी शायरी


1150
किया हैं प्यार जिसे हमने,
ज़िन्दगीकी तरह;
वो आशना भी मिला हमसे,
अजनबीकी तरह;
किसे ख़बर थी,
बढ़ेगी कुछ और तारीकी;
छुपेगा वो किसी बदलीमें
चाँदनीकी तरह।

1148 खुबसूरत बचपनके उंगलियाँ जुड दिन दोस्ती शुरू शायरी


1148
कितने खुबसूरत हुआ करते थे,
बचपनके वो दिन...
के सिर्फ दो उंगलियाँ जुडनेसे,
दोस्ती फिर शुरू हो जाती थी . . . !

1149 शाम बीत चाहते बेखबर कल शायरी


1149
एक और शाम बीत चली हैं,
उन्हें चाहते हुए...
वो आज भी बेखबर हैं,
बीते हुए कलकी तरह...

1147 जिंदगी गुलशन आबाद हसीन फूल याद बर्बाद शायरी


1147
उजड़े हुए गुलशनको,
फिरसे आबाद मत कर l
उसके हसीन फूलोंको,
तू फिरसे याद मत कर l
जी ले जिंदगीको मन मारकर यूँ ही,
तू अपने हसीन कलको,
फिरसे बर्बाद मत कर...!

1146 जिंदगी मोहब्बत इश्क़ मायने हज़ूर मालुम शायरी


1146
हमें कहाँ मालुम थे,
इश्क़के मायने हज़ूर...
बस वो मिले और,
जिंदगी मोहब्बत बन गयी !!!