2966
हँसकर कबूल क्या
करलीं,
सजाएँ मैने...
अपनोंने दस्तूर
ही बना लिया;
हर इलज़ाम मुझपर
लगानेका.......!
2967
नसीबने पूछा,
"बोल क्या चाहिए ?"...
'ख़ुशी' क्या मांग
ली,
"खामोश" हो गया......
2968
उम्रभरकी
बात,
बिगड़ी, एक
ज़रासी बातमें...
एक लम्हा, ज़िंदगी भरकी,
कमाई उलझा
गया.......!
2969
"वो
इश्क़, वो ख्वाब, वो इबादत,
जाने कहाँ गुम
हो गए...
कल तक 'हम'
थे;
आज 'मैं' और 'तुम' हो गए.......!"
2970
अच्छा हैं.......
आँसुओंकी कीमत नहीं
लगती,
वरना कुछ तकिये,
करोड़ोमें बिकते.......!