3446
हो जाएगी मुकम्मल,
उस
रोज ज़िन्दगी...।
जब जज़्बात मेरे,
छू
लेंगे दिलको
तेरे.......।
3447
सफ़र ज़िन्दगीका,
अब मुकम्मल कर लिया
मैंने;
हालात ये हैं,
पाँव नहीं, दिल
दुखता आया हैं;
तू कयामत तक,
धरनेपर बैठ
ऐ किस्मत...
मैं कोशिशोसे कभी,
इस्तीफा नहीं दूंगा.......!
3448
महसूस तो होती
हैं,
पर मुकम्मल
नहीं होती...
कुछ हसरतें आँखोंमें ठहरी रहती हैं,
इंतजार बनकर.......!
3449
उम्रका बढ़ना तो,
दस्तूर-ए-जहाँ हैं;
मगर महसूस ना करो
तो,
उम्र बढ़ती कहाँ हैं.......?
3450
खुदको भी
कभी,
महसूस कर
लिया करो...
कुछ रौनकें खुदसे
भी,
हुआ करती
हैं.......!