4331
ये जो चंन्द
फूरस्तके लम्हे,
मिलते हैं जीनेके...
मैं उन्हें भी,
तुम्हे सोचते हुए ही
खर्च कर देता
हूँ...!
4332
कुछ लम्हे...
तुझसे बात करनेकी हसरत हैं बस;
मैने कब कहां,
अपना सारा वक़्त
मुझे दे दो.......
4333
तलब ये नहीं कि,
किसी औरकी यादोंका...
हिस्सा हो जाऊँ !
ख़्वाहिश हैं, लम्हे भरके लिए ही
सहीं,
तेरे सबसे क़रीब
हो जाऊँ.......!
4334
ये लम्हे बहुत बदमाश
हैं,
जो तुम्हारे साथ गुज़ारूँ तो...
झटसे
गुज़र जाते हैं;
और जब तुम
नहीं होते तो...
मानो ठहरसे
जाते हैं.......!
4335
"मेरी
मसरूफियतके हर
लम्हेमें,
शामिल हैं, तुम्हारी यादें...
सोचो....... मेरी फुरसतोंका,
आलम क्या होगा.......!"