9 February 2020

5451 - 5455 शोर राख धुआँ नाम खास रिश्ते शायरी


5451
जो रिश्ते गहरे होते हैं...
वो अपनापनका शोर नही मचाते !

5452
कुछ रिश्ते थे,
जो निभाए ना गए...
और जो निभाने थे,
वो बनाए ना गए.......

5453
उलझे जो कभी हमसे... तो,
तुम सुलझा लेना l
तुम्हारे हाथमें भी रिश्तेका,
एक सिरा होगा...ll

5454
ना राख उड़ती हैं,
ना धुआँ उठता हैं...
कुछ रिश्ते यूँ चुपचाप,
जला करते हैं.......

5455
कोई नाम नही,
इस रिश्तेका मगर;
फिर भी मेरे लिए,
तुम बहुत खास हो...!

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