14 February 2020

5471 - 5475 किराया दरार फायदा नजाकत भरोसा अंदाज गुमराह रिश्ता शायरी


5471
रिश्तोंकी जमावट आज,
कुछ इस तरह हो रही हैं...
बाहरसे अच्छी सजावट,
और अन्दरसे स्वार्थ की मिलावट हो रही हैं...

5472
सोचता हूँ कि गिरा दूँ,
सभी रिश्तोंके खण्डहर;
इन मकानोंसे,
किराया भी नहीं आता हैं...

5473
मकानोंके भाव,
यूँ ही नहीं बढ़ गए...
रिश्तोंमें पड़ी दरारोंका,
फायदा ठेकेदार उठा गए...

5474
नजाकत तो देखिये कि,
सूखे पत्तेने डालीसे कहा...
चुपकेसे अलग करना, वरना...
लोगोका रिश्तोंसे भरोसा उठ जायेगा...!

5475
गलत सोच और गलत अंदाजा,
इंसानको हर रिश्तेसे,
गुमराह कर देता हैं.......

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