25 February 2020

5516 - 5520 दिल इश्क़ वफ़ा मोहब्बत ज़ख्म आदत खामोशी गहराई दर्द शायरी


5516
तुम्हें क्या बताये,
इश्क़में मिलता हैं दर्द क्या...
मरहमभी पिघल जाते हैं,
ज़ख्मकी गहराई देखकर...

5517
इतना दर्द तो,
मरनेसे भी नहीं होगा...
ज़ितना दर्द तेरी खामोशीने,
दिया हैं मुझे.......

5518
शायरोंसे पुछो,
शायरी क्या होती हैं...
दर्द सहेने वालोंसे पुछो,
ज़ख्म क्या होती हैं...

5519
अब तो आदत बन चुकी हैं...
तुम दर्द दो और हम मुस्कुराएंगे...

5520
हमने कब माँगा हैं तुमसे,
अपनी वफ़ाओंका सिला...
बस दर्द देते रहा करो,
मोहब्बत बढ़ती जाएगी...!

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