5441
कल तक मैं जरूरत था,
आज जरूरी भी नहीं...
कल तक मैं एक रिश्ता था,
आज मजबूरी भी नहीं...
5442
जब मिलो किसीसे तो,
जरा दूरका रिश्ता रखना;
बहोत तडपाते हैं,
अकसर सीनेसे लगाने वाले...
5443
दोनों तरफ़से निभाया जाये,
वही रिश्ता कामयाब होता हैं साहिब...
एक तरफ़से सेंक कर तो,
रोटी भी नहीं बनती.......
5444
मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते,
जरा भी पसंद नही आते...
या तो लोहेकी तरह जोड़ दे,
या फिर धागेकी तरह तोड़ दे...!
5445
टूटे तो बड़े चुभते हैं.......
क्या काँच, क्या रिश्ते...!
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