5466
जब तौलते हो रिश्तोंको,
सच बताना...
दूसरे पलड़ेमें,
क्या रखते हो...!
5467
केवल जिद्की,
एक गांठ छूट
जाए;
तो उलझे हुए
सभी,
सुलझ जाए...
5468
रिश्तोंमें
ना रखा करो
हिसाब,
नफ़े और नुकसानका...
ज़िन्दगीकी
पाठशालामें,
गणितका कमज़ोर
होना अच्छा हैं...!
5469
सफल रिश्तोंके,
यही उसूल हैं l
वो सब भूलिए,
जो फिजूल हैं ll
5470
रिश्तोंको
शब्दोंका,
मोहताज ना बनाइये...
अगर अपना कोई
खामोश हैं तो,
खुदही आवाज लगाइये.......!
No comments:
Post a Comment