25 February 2020

5511 - 5515 दिल इश्क़ वफ़ा मोहब्बत फ़ितरत उसूल आँख ग़ज़ल दास्तान ख्वाहिश दर्द शायरी


5511
उनकी फ़ितरत हैं,
वो दर्द देने की रस्म अदा कर रहे हैं;
हम भी उसूलों के पक्के हैं,
दर्द सहकर भी वफ़ा कर रहे हैं...!

5512
सुना हैं लोग उसे आँख भरके देखते हैं,
सो उसके शहरमें कुछ दिन ठहरके देखते हैं;
सुना हैं दर्दकी गाहक हैं चश्म--नाज़ उसकी,
सो हम भी उसकी गलीसे गुज़रके देखते हैं...

5513
यह ग़ज़लोंकी दुनिया भी अजीब हैं,
यहाँ आँसुओंका भी जाम बनाया जाता हैं...
कह भी देते हैं अगर दर्द--दिलकी दास्तान,
फिरभी वाह-वाह ही पुकारा जाता हैं.......

5514
मिल जाती अगर सभीको,
अपने मोहब्बत की मंज़िल...
तो यक़ीनन रातोंके अँधेरोंमें,
कोई दर्द भरी गज़ल नहीं लिखता...!

5515
उसने मुझसे ना जाने क्यों ये दूरी कर ली,
बिछड़के उसने मोहब्बतही अधूरी कर दी...
मेरे मुकद्दरमें दर्द आया तो क्या हुआ,
खुदाने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी...!

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