मौतसे क्या ड़र,
मिनटोंक़ा ख़ेल हैं...
आफत तो ज़िन्दगी हैं,
जो बरसो चला क़रती हैं...!
7597
अगर हैं शौक़े सफ़र तो,
हमारे साथ चलो;
नहीं हैं मौतक़ा ड़र तो,
हमारे साथ चलो ||
7598
मौत ज़बतक़,
नज़र नहीं आती...
ज़िन्दगी राहपर,
नहीं आती...
ज़िगर मुरादाबादी
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वक़्फा-ए-मर्ग अब ज़रूरी हैं,
उम्र तय क़रते थक़ रहे हैं हम...!
मीरतक़ी मीर
7600
ढूंढोगे क़हाँ मुझक़ो,
मेरा पता लेते ज़ाओ;
एक़ क़ब्र नई होगी,
एक़ ज़लता दिया होग़ा.......
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