20 September 2021

7666 - 7670 ख्वाहिश दर्द दवा फ़िजूल ज़माना फ़िक्र फ़ना शायरी

 

7666
ख्वाहिशोंक़े बोझमें,
तू क्या-क्या क़र रहा हैं l
इतना तो ज़ीयाभी नहीं हैं,
ज़ितना तू मर रहा हैं ll

7667
फ़नाक़ा होश आना,
ज़िन्दगीक़ा दर्दे-सर ज़ाना...l
अज़ल क्या हैं,
ख़ुमारे-बादा-ए-हस्ती उतर ज़ाना ll
चक़बस्त लख़नवी

7668
बादे-फ़ना फ़िजूल हैं,
नामोनिशांक़ी फ़िक्र...
ज़ब हम नहीं रहे तो,
रहेग़ा मज़ार क्या.......!!!

7669
इशरते क़तरा हैं,
दरियामें फ़ना हो ज़ाना l
दर्दक़ा हदसे ग़ुज़रना हैं,
दवा हो ज़ाना ll
मिर्झा ग़ालिब

7670
प्यास तो मरक़र भी,
नहीं बुझती ज़मानेक़ी...
मुर्देभी ज़ाते ज़ाते,
गंग़ाज़लक़ा घूँट मागंते हैं...!

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