30 September 2021

7706 - 7710 मोहब्बत गज़ब ज़हर कदर तलाश मौज़ूद इरादा बिखर वज़ूद शायरी

 

7706
क़भी मोहब्बतसे बाज़ रहनेका,
ध्यान आए तो सोचता हूँ...
ये ज़हर इतने दिनोंसे,
मेरे वज़ूदमें कैसे पल रहा हैं...!
                         ग़ुलाम हुसैन साजिद

7707
अपने वज़ूदक़ो खोकर,
तुझे चाहा था...
तूने कदर नही की,
क़मी मुझमें ही होगी.......!

7708
तलाश क़र मिरे अंदर,
वज़ूदक़ो अपने...
इरादा छोड़ मुझे,
पाएमाल क़रनेक़ा...
                मोहसिन असरार

7709
वज़ूद होगा मुज़स्सम,
मिरा क़भी क़भी...
अभी तो तेरी फ़ज़ामें,
बिखर रहा हूँ मैं...!!!
ख़्वाजा जावेद अख़्तर

7710
गज़ब हैं मेरे दिलमें,
तेरा वज़ूद...
मैं ख़ुदसे दूर और,
तु मुझमें मौज़ूद.......

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