1 October 2021

7711 - 7715 फ़ितरत गम ख़्वाब साँस तक़लीफ शहादत मुश्किल इंक़ार वज़ूद शायरी

 

7711
मेरी फ़ितरतमें नहीं,
अपना गम बयाँ क़रना...
अगर तेरे वज़ूदक़ा हिस्सा हूँ,
तो महसूस क़र तक़लीफ मेरी...

7712
मैं भी यहाँ हूँ,
इसक़ी शहादतमें क़िसक़ो लाऊँ...
मुश्किल ये हैं क़ि,
आप हूँ अपनी नज़ीर मैं.......
फ़रहत एहसास

7713
सितारा--ख़्वाबसे भी,
बढ़क़र ये क़ौन बे-मेहर हैं...!
क़ि जिसने चराग़ और आइनेक़ो,
अपने वज़ूदक़ा राज़-दाँ क़िया हैं....!!!
                             ग़ुलाम हुसैन साजिद

7714
तेरे वज़ूदसे भला,
इंक़ार हो क़िसे...
तू क़ि ज़र्रे ज़र्रेमें,
जल्वा-नुमा भी हैं...!
द्वारक़ा दास शोला

7715
अपने वज़ूदक़ा,
अंदाजा इसीसे लगा...
तू साँस हैं मेरी,
वो भी रूक़ी हुई.......!

No comments:

Post a Comment