7801
इश्क़ दिलक़ा,
वो सुक़ून हैं...
ज़ो रूहक़ो सदा,
बेचैन रख़ती हैं.......
7802क़भी रातोंक़ी क़रवटें,क़भी दिनक़ी बेचैनियाँ...ये मोहब्बत ज़रा,मोहब्बतसे पेश आ हमसे...
7803
हमारी मोहब्बत ज़रूर,
अधूरी रह ग़यी होग़ी...
पिछले ज़नममें,
वरना इस ज़नमक़ी तेरी ख़ामोशी,
मुझे इतना बेचैन न क़रती.......
7804क़ोई कुछ भी ना क़हे,तो पता क्या हैं...इस बेचैन ख़ामोशीक़ी,वज़ह क़्या हैं...उन्हें ज़ाक़े क़ोई क़हे,हम ले लेंगे ज़हर भी...वो सिर्फ़ ये तो बता दे,मेरी ख़ता क़्या हैं.......
7805
ख़ामोशी, बेचैनी,
यादें तेरी, मेरा ख़ालीपन...
क़ितना कुछ हैं क़मरेमें,
तेरे और मेरे सिवा.......
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