7716
वज़ूदक़ी तलब ना क़र,
हक़ हैं तेरा रूह तक़...
सफ़र तो क़र.......
7717ख़त्म होने दे मिरे साथही,अपना भी वज़ूद...तू भी इक़ नक़्श ख़राबेक़ा हैं,मर ज़ा मुझमें.......मुसव्विर सब्ज़वारी
7718
मिरे वज़ूदक़े अंदर,
उतरता ज़ाता हैं l
हैं क़ोई ज़हर जो मेरी,
ज़बाँक़ी ज़दमें हैं ll
आफ़ताब हुसैन
7719उदास लम्होंक़ी न क़ोई याद रख़ना,तूफ़ानमें भी वज़ूद अपना संभाल रख़ना;क़िसीक़ी ज़िंदगीक़ी ख़ुशी हो तुम,बस यही सोच तुम अपना ख़्याल रख़नाll
7720
लहूलुहान हैं चेहरा,
वज़ूद छलनी हैं...
सदी ज़ो बीत ग़ई,
उसक़ा आइना हूँ मैं.......
शफ़ीक़ अब्बास
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