15 October 2021

7756 - 7760 इश्क़ ज़िस्म शक्ल क़िरदार दामन हक़ीक़त साँसे धड़क़न वज़ूद शायरी

 

7756
मेरा वज़ूद मिट रहा हैं,
इश्क़में तेरे...
अब यह ना क़हना क़ी,
ज़िस्मक़ी चाहत हैं मुझे...

7757
मेरा वज़ूद पानी,
हुआ मिट्टी और आग़...
बिख़री हुई अना हूँ,
सुलग़ता ग़ुरूर हूँ.......
        इशरत क़ादरी

7758
ज़िसक़ो भी हासिल,
क़िरदार ना हुआ मेरा ;
वो मेरे दामन--वज़ूदक़ो,
दाग़दार क़ह गए.......

7759
मिरा वज़ूद हक़ीक़त,
मिरा अदम धोक़ा...
फ़ना क़ी शक्लमें,
सर-चश्मा--बक़ा हूँ मैं...
हादी मछलीशहरी

7760
मेरे वज़ूदमें,
सांसोंक़ी आग़ाहीक़े लिए,
तुम्हारा मुझमें धड़क़ना,
बहुत ज़रूरी हैं.......!

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