7756
मेरा वज़ूद मिट रहा हैं,
इश्क़में तेरे...
अब यह ना क़हना क़ी,
ज़िस्मक़ी चाहत हैं मुझे...
7757मेरा वज़ूद पानी,हुआ मिट्टी और आग़...बिख़री हुई अना हूँ,सुलग़ता ग़ुरूर हूँ.......इशरत क़ादरी
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ज़िसक़ो भी हासिल,
क़िरदार ना हुआ मेरा ;
वो मेरे दामन-ऐ-वज़ूदक़ो,
दाग़दार क़ह गए.......
7759मिरा वज़ूद हक़ीक़त,मिरा अदम धोक़ा...फ़ना क़ी शक्लमें,सर-चश्मा-ए-बक़ा हूँ मैं...हादी मछलीशहरी
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मेरे वज़ूदमें,
सांसोंक़ी आग़ाहीक़े लिए,
तुम्हारा मुझमें धड़क़ना,
बहुत ज़रूरी हैं.......!
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