31 October 2021

7806 - 7810 दिल हाल अश्क़ तसल्ली क़दर तन्हाई ख़्वाब ख़्याल चाँद बेचैनी बेचैन शायरी

 

7806
भोले बनक़र हाल पूछ,
बहते हैं अश्क़ तो बहने दो...
ज़िससे बढ़े बेचैनी दिलक़ी,
ऐसी तसल्ली रहने दो.......
                          आरज़ू लखनवी

7807
बेचैन इस क़दर था क़ि,
सोया रातभर ;
पलक़ोंसे लिख़ रहा था,
तिरा नाम चाँदपर...!

7808
मेरे बेचैन ख़्यालोंपें,
उभरने वाली,
अपने ख़्वाबोंसे बहला,
मेरी तन्हाईक़ो.......
                   क़तील शिफ़ाई

7809
बड़ी मुश्किलसे सीख़ा हैं,
ख़ुश रहना उनक़े बगैर...
सुना हैं ये बात भी उन्हें,
थोडा परेशान क़रती हैं...!!!

7810
उसे बेचैन क़र ज़ाऊँगा मैं भी,
ख़ामोशीसे गुज़र ज़ाऊँगा मैं भी...!

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