26 October 2021

7791 - 7795 दिल प्यार ज़िन्दग़ी ख़बर इज़हार आँख ख़्वाब ज़िस्म चैन शायरी

 

7791
चैन मिल ज़ाए,
दो घड़ीक़े लिए...
क़म नहीं मेंरी,
ज़िन्दग़ीक़े लिए...

7792
दिल चुराक़र आप तो,
बैठे हुए हैं चैनसे...
ढूंढने वालेसे पूछे क़ोई,
क़्या ज़ाता रहा.......
दाग़ देहलवी

7793
चैन ख़ो ज़ानेक़ा,
इज़हार ज़रूरी तो नहीं l
यह तमाशा सरे आम,
ज़रुरी तो नहीं l
मुझे था प्यार तेरी रूहसे,
और अब भी हैं l
तेरे ज़िस्मसे हो क़ोई,
सरोक़ार ज़रूरी तो नहीं ll

7794
आँखोंमे ख़्वाब उतरने नहीं देता,
वो शख़्स मुझे चैनसे मरने नहीं देता...
बिछड़े तो अज़ब प्यार ज़ताता हैं ख़तोंमें,
मिल ज़ाए तो फिर हदसे गुज़रने नहीं देता !!!

7795
तुम आए तो क़्या सहर हुई,
हाँ मग़र चैनसे बसर हुई...
मेरा नाला सुना ज़मानेने,
एक़ तुम हो ज़िसे ख़बर हुई.......

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