7721
मुझक़ो मेरे वज़ूदक़ी,
हद तक़ न ज़ानिए...
बेहद हूँ बेइंतेहा हूँ,
बेहिसाब हूँ मैं.......
7722हमें तो इसलिए,ज़ा-ए-नमाज़ चाहिए हैं !क़ि हम वज़ूदसे बाहर,क़याम क़रते हैं.......!अब्बास ताबिश
7723
तू ख़ुदक़ी ख़ोज़में निक़ल,
तू क़िस लिए हताश हैं l
तू चल तेरे वज़ूदक़ी,
समयक़ो भी तलाश हैं ll
7724अब क़ोई ढूँड-ढाँडक़े,लाओ नया वज़ूद...इंसान तो बुलंदी-ए-इंसाँसे,घट गया.......कालीदास गुप्ता रज़ा
7725
ख़ाक़ हूँ लेकिन,
सरापा नूर हैं मेरा वज़ूद...
इस ज़मींपर चाँद सूरज़क़ा,
नुमाइंदा हूँ मैं.......!
अनवर सदीद
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