28 September 2021

7696 - 7700 क़िस्मत हालात ख़ामोश तूफ़ान ख़्याल तन्हा लम्हा सज़ा वज़ूद शायरी

 

7696
हमारे हालातसे न लगाओ,
अंदाज़ा हमारे वज़ूदक़ा...
हम वो ख़ामोश समंदर हैं,
ज़िसक़े पहलूमें तूफ़ान पलते हैं.......

7697
लम्होंक़े अज़ाब सह रहा हूँ...
मैं अपने वज़ूदक़ी सज़ा हूँ...l
अतहर नफ़ीस

7698
इतना ना तराशोक़े,
वज़ूदही ना रहे...l
हर पत्थरक़ी क़िस्मतमें,
ख़ुदा बनना नहीं लिख़ा...ll

7699
मिरे वज़ूदक़ो,
परछाइयोंने तोड़ दिया,
मैं इक हिसार था,
तन्हाइयोंने तोड़ दिया ll
फ़ाज़िल ज़मीली

7700
अब भी आ ज़ाता हैं,
अक़्सर वो ख़्यालोंमें...
आज़ भी वज़ूदमें लग़ती हैं,
हाज़री उस गैर-हाज़िरक़ी...!!!

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