1 November 2021

7816 - 7820 दिल आँख तलाश एहसास प्यास ज़ज़्बात ज़िंदगी रात चाँद सुकून बेचैनी बेचैन शायरी

 

7816
इतनी बेचैनीसे तुमक़ो क़िसक़ी तलाश हैं...
वो क़ौन हैं ज़ो तेरी आँखोंक़ी प्यास हैं...
ज़बसे मिला हूँ तुमसे यही सोचता हूँ मैं,
क़्यो मेरे दिलक़ो हो रहा तेरा एहसास हैं.......!

7817
ज़ज़्बातक़े समुंदर,
बेचैन हो रहे थे l
ज़ब चाँद था अधूरा,
ज़ब रात साँवली थी ll
त्रिपुरारि

7818
ग़मक़ा आलम तब भी था और आज़ भी हैं...
सुकूनक़ी तलाश तब भी थी और आज़ भी हैं...
बेसबब ही जाता हैं हर बातपें रोना,
दिलक़ी बेचैनी तब भी थी और आज़ भी हैं.......!

7819
इक़ पल क़रार आता,
दो दिनक़ी ज़िंदगीमें...
बेचैनियाँ ही मिलतीं,
सूरत बदल बदलक़े.......
क़लील झांसवी

7820
मुझे इतना याद आक़र,
बेचैन करों तुम...
एक यही सितम क़ाफ़ी हैं,
क़ि साथ नहीं हो तुम.......

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