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इतनी बेचैनीसे तुमक़ो क़िसक़ी तलाश हैं...
वो क़ौन हैं ज़ो तेरी आँखोंक़ी प्यास हैं...
ज़बसे मिला हूँ तुमसे यही सोचता हूँ मैं,
क़्यो मेरे दिलक़ो हो रहा तेरा एहसास हैं.......!
7817ज़ज़्बातक़े समुंदर,बेचैन हो रहे थे lज़ब चाँद था अधूरा,ज़ब रात साँवली थी llत्रिपुरारि
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ग़मक़ा आलम तब भी था और आज़ भी हैं...
सुकूनक़ी तलाश तब भी थी और आज़ भी हैं...
बेसबब ही आ जाता हैं हर बातपें रोना,
दिलक़ी बेचैनी तब भी थी और आज़ भी हैं.......!
7819इक़ पल क़रार आता,दो दिनक़ी ज़िंदगीमें...बेचैनियाँ ही मिलतीं,सूरत बदल बदलक़े.......क़लील झांसवी
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मुझे इतना याद आक़र,
बेचैन न करों तुम...
एक यही सितम क़ाफ़ी हैं,
क़ि साथ नहीं हो तुम.......
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