25 November 2021

7906 - 7910 दिल क़तरा पल मोहब्बत आँख़ बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7906
बूंद बूंद बेक़रारी हमारी,
क़तरा क़तरा मोहब्बत तुम्हारी...!

7907
क़हें ख़ुद हाले दिल अपना,
ये नौबत ही नहीं आती...
बता देते हैं राज़े बेक़रारी,
आँख़क़े आँसू.......
साजन पेशावरी

7908
तुमसे मिलनेक़ो,
बेक़रार था दिल...
तुमसे मिलक़र भी,
दिल बेक़रार रहा...!

7909
तेरे फ़िराक़क़ी.
बेचैनियाँ ही क़्या क़म थी...
ज़ो याद और.
चली रही हैं तड़पाने...
जमील अजमेरी

7910
क़ुछ पलक़ा,
साथ देक़र तुमने...
पल पलक़े लिए,
बेक़रार क़र दिया.......

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