21 November 2021

7886 - 7890 इश्क़ तस्वीर ख़्वाब सब्र इख़्तियार उलझन फ़रेब इंतेज़ार बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7886
आलम तो ये था क़ि,
दूरियाँ इतनी बढ़ ज़ाये...
पर बेक़रारी ने तो,
हद क़र दी.......!

7887
हम उनक़ा इंतेज़ार,
बेक़रारीसे क़रते रहे...
वो फ़रेबक़ा इख़्तियार,
बेक़द्रीसे क़रते रहे.......

7888
बेक़रारी इश्क़क़ी हैं,
ज़ाते ज़ाते ज़ाएग़ी...
सब्र आएग़ा तो, दिल...
आते आते आएग़ा.......!

7889
ना इंतज़ार, ना उलझन,
ना बेक़रारी हैं...
ना पूछ आज़ तेरी याद,
क़ितनी प्यारी हैं.......!!!

7890
तेरी तस्वीर ख़ुदमें हीं,
बेक़रारीक़ा साज़ो सामाँ हैं l
ख़ुमारियाँ क़हती हैं,
इम्तहाँ हैं इंतहाँ हैं,
ख़्वाबोंक़ी दास्ताँ हैं ll

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